साजिश (अ थ्रिलर स्टोरी) एपिसोड 29
इंस्पेक्टर जिद कर रहा था कि जब तक पुलिस वहां नही पहुंच जाती कोई कहीं नही जाएगा। जबकि राहुल की जिद थी कि उसने जाना है। राहुल ने फोन एस ओ साहब को मिलाया और फोन करते हुए कहा- "सर, प्लीज गिव मि परमिशन, ये लोग मुझे जाने नही दे रहे है, और देर हो गयी तो अमित वहां से भाग जाएगा ।"
"दीपक तुम टेंशन मत लो, तुम रोशनी को लेकर घर जाओ, हमारी पुलिस टीम तुम्हारे दिए पते पर पहुंच गयी है, और अमित पकड़ा भी गया है। डोन्ट वरी, कौन है वहां , उसकी बात कराओ मुझसे"
राहुल ने ट्रैफिक पुलिस को फोन पकड़ाते हुए कहा- ये लो बात करो"
ट्रैफिक पुलिस वाले ने फोन पर बात की, और फिर दोनो को भेज दिया और साथ ही उन तीनों को पकड़ के रखने को कहा।
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रोशनी को लेकर राहुल वापस अविनाश के घर की तरफ आ गया क्योकि वहां से उसकी मम्मी वैशाली को भी ले जाना था और अविनाश से एक बार मिलना भी था क्योकि उसने इतनी मदद जो कि थी।
जब राहुल वापस घर आया तो अविनाश घर पर उनका इंतजार कर रहा था, क्योकि राहुल ने फोन करके सब बात बता दी थी कि उसके साथ क्या क्या घटना हुई है।
"अपनी गाड़ी छोड़ आये और न जाने किसकी बाइक ले आये तुम, कम से कम वापसी में गाड़ी तक आ जाते और बाइक को छोड़ आते वहां" अविनाश ने कहा।
"तुम आराम करो बेटा, और किसी डॉक्टर को बुलाओ, कितनी सारी चोट आई है तुम्हे" वैशाली ने कहा।
"अरे नही नही! डॉक्टर की जरूरत नही है। सारा खून मेरा ही नही है, आधे घाव तो पानी से ही साफ हो जाएंगे" दीपक ने मुस्कराते हुए कहा।
अविनाश राहुल रोशनी और वैशाली एक साथ बैठे थे तभी अविनाश ने राहुल का हाथ पकड़ा और कहा- "ड्रामे कम कर, और चल, मरहम पट्टी तो कर दूं तेरी, चल आजा।" कहते हुए अविनाश राहुल को अपने कमरे में ले गया ।
राहुल को एक कुर्सी पर बैठाते हुए अविनाश ने कमरे में कुंडी लगाई और फिर एक तरफ से रुई और डेटोल की छोटी सी शीशी उठाकर लाया।
"ये कुंडी क्यो लगा दी" राहुल ने सवाल किया।
अविनाश ने धीरे से कहा- "ताकि हमारी बात कोई और ना सुन ले, सबसे पहले तो ये बता, आखिर इतने गुंडों को तूने मारा कैसे? तेरे अंदर उस दीपक का भूत तो नही आ गया था?"
राहुल धीरे से मुस्कराया और बोला- "जब इंसान को गुस्सा हद से ज्यादा आ जाये तो उसमे ताकत भी बहुत आ जाती है। बस मुझे गुस्सा आ गया था"
"गुस्सा तो तुझे तब भी आ रहा था जब कृतिका के भाई ने तुझे मारा, लेकिन तब तू अकेले उसे नही मार पाया, लेकिन जब बात आयी रोशनी की तो तूने आठ दस गुंडों की धुलाई कर दी, मानना पड़ेगा।" अविनाश राहुल के माथे पर लगे सूखे हुए खून को पोछते हुए बोला
"आउच…. यार धीरे से लगाओ, जलन हो रही है"
"कृतिका ज्यादा अच्छी है या रोशनी। खैर रोशनी तो तुझे पटी पटाई मिल गयी वरना तू कहाँ लडकिया पटा पाता, " अविनाश ने सवाल किया।
राहुल चौक गया क्योकि अविनाश बहुत ही अजीब अजीब सवाल कर रहा था, ऐसे वक्त में कमीने से कमीने दोस्त भी हालचाल पुछते है। अविनाश की अजीब सी बातें सुनकर हैरानी से राहुल ने उसकी तरफ देखते हुए गुस्से से कहा- "ये कुछ ज्यादा नही हो रहा तुम्हारा"
अविनाश थोड़ा मुस्कराया और फिर अचानक गंभीरता भरी आवाज में बोला- "ज्यादा तो तुम्हारा भी हो रहा है, चलो अब बताओ कि राहुल कहाँ है। मैं जानता हूँ तुम राहुल नही हो।"
दीपक हैरान हो गया, क्योकि वो अविनाश के सामने पूरी कोशिश कर रहा था कि राहुल बनकर रहे, उसके बाद भी अविनाश ने उसे पहचान लिया, दीपक ने अब भी कोशिश नही छोड़ी और हल्का मुस्कराते हुए बोला- "मैं जानता हूँ तुम मजाक कर रहे हो।"
"मजाक और मैं? नहीं, मैं सच बोल रहा हूँ। अगर तुम सच बोल रहे तो बताओ कि कृतिका कौन थी?" अविनाश ने कहा।
"गर्लफ्रेंड…. गर्लफ्रेंड थी मेरी" दीपक ने कहा।
अविनाश हँसते हुए बोला- "अच्छा अच्छा, बिल्कुल सही जवाब, इसका मतलब तुम राहुल ही हो"
"लेकिन तुम्हे ऐसा क्यों लगा कि मैं राहुल नही हूँ, तुम्हे बताया तो था कि दीपक मर गया, अब बस राहुल ही दीपक है" दीपक ने कहा।
"मुझे एक बात समझ नही आ रही कि रोशनी दीपक और राहुल में फर्क क्यो नही कर पा रही है" अविनाश ने कहते हुए दीपक के कमीज के सीने के बटन खोला और बाएं हाथ की तरफ कंधे से कमीज को हटाते हुए बोला- "अरे वाह, वो गोली का निशान तो बिल्कुल गायब हो गया, ऐसी कौन सी मेडिसन या क्रीम लगा ली जो वो एक दिन में गायब हो गया" अविनाश ने मुस्कराते हुए कहा।
इस बार दीपक के चेहरे में सन्नाटा छा गया क्योकि उसे पता लग गया था कि अविनाश सब जान चुका है। दीपक को खामोश देखकर अविनाश ने कहा - "देखो चुपचाप बता दो मेरा दोस्त कहाँ है? क्योकि आज दिन में हॉस्पिटल से भागने तक वो राहुल था, लेकिन जब वापस आया तो राहुल कहाँ रह गया। और तुम क्यो बार बार उसकी जान को खतरे में डालकर उसका फायदा उठा रहे हो।जैसे ही तुम्हारा मकसद पूरा हो रहा वैसे ही तुम उसे मक्खी की तरह निकाल के फेंक दी रहे हो, क्या तुम बताओगे की अभी राहुल कहाँ और किस हाल में होगा।"
"फायदा…. मैंने कब उसका फायदा उठाया। मैंने उसे जिंदगी दी है। हर बार उसे बचाया है। आज भी अगर मैं टाइम से नही पहुंचता तो🤔🤔🤔
पांच छह गुंडे एक साथ राहुल को पीट रहे थे? रोशनी को एक गाड़ी लेकर अमित के घर की तरफ निकल रही थी। लेकिन ये बात राहुल भी नही जानता था। दीपक हॉस्पिटल आ रहा था उसे भी कहीं से खबर मिली थी की रोशनी का प्लास्टिक सर्जरी कर रहे है। लेकिन रास्ते मे ही कुछ लोग किसी एक आदमी को बड़ी बेपरवाही से मार रहे थे। दीपक को देर हो रही थी लेकिन फिर भी उसे लगा कि रोशनी के साथ तो हॉस्पिटल में राहुल और मम्मी जी होगी ही, लेकिन बेचारे के साथ कोई नही है, पता नही क्यो मार रहे है ये लोग।
दीपक ने बाइक रोकी और उन लोगो की तरफ बढ़ने लगा।
"क्या हो रहा है वहाँ" दीपक ने कहा।
दीपक की आवाज सुनकर कुछ लोगो ने दीपक की तरफ देखा तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई, उन्होंने सभी साथियों को संबोधित करते हुए कहा- "अरे, ये तो मर गया, वो देखो भूत इसका……"
सभी लड़को ने राहुल को छोड़ा और दीपक की तरफ देखने लगे, संयोग से आज भी राहुल ने दीपक की तरह ही कपड़े पहने थे।
दीपक ने जब देखा कि वो राहुल है तो उसका पारा हाइ हो गया। दीपक तेजी से दौड़ते हुए उन सब की तरफ गया और सबसे पहले एक आदमी का गला पकड़कर तेज मुक्का मरते हुए पीछे से आ रहे आदमी को जोरदार लात मार दी और उसी के साथ दो तीन मुक्के अपने बगल से आ रहे लड़के को मारे। दीपक जैसे फाइटिंग में उस्ताद नजर आ रहा था। जो उसे धोके से एक या दो मुक्के मार देता दीपक उसकी बुरी हालत करके ही उसे छोड़ता भले इस बीच बाकी लोग दीपक को मारते रहे। एक एक करके सबको मारने के बाद एक आदमी के गले को तेज दबाते हुए दीपक ने रोशनी के बारे में पूछा। मौत के खौफ से उस आदमी ने अमित के अड्डे के पता बता दिया। उसके बाद दीपक ने और थोड़ी देर उसकी धुलाई की।
अब दीपक राहुल को उठाने लगा, लेकिन राहुल जैसे बेहोश था , हाँ उसकी धड़कने अभी बहुत तेज चल रही थी। दीपक ने एक कार को रोका जो उसी तरफ आ रही थी और उससे रीकवेस्ट करके दीपक को हॉस्पिटल तक छोड़ने को कहा।
"जल्दी करो, और तुम भी बैठो गाड़ी में" आदमी ने राहुल को अंदर शीट पर डालते हुए कहा।
"नही, मैं अभी नही आ सकता, मैंने किसी को बचाना है, ये गुंडे इसे यहां पीट रहे थे जबकि इनके बाकी साथी एक लड़की को किडनैप करके ले गए है मुझे उसे बचाना है" दीपक ने जल्दी से गेट बंद करते हुए कहा।
"ओ हेलो…. मैं नही ले जाऊँगा ऐसे, रास्ते मे मर मुर गया तो, मेरे पे आएगा इल्जाम, वैसे भी बिना पुलिस केस के हॉस्पिटल वाले लेंगे भी नही, चलना है तो चलो नही तो निकालो इसे भी बाहर, मैं नही ले सकता रिस्क" आदमी बोला।
दीपक ने बंदूक हाथ मे लेते हुए कहा- "एक नम्बर नोट करो, मैं खुद पुलिस ऑफिसर हूँ, और मेरे लिए अभी उसे बचाना ज्यादा जरूरी है, तुमपर कोई रिस्क नही आएगा, तुम्हे जो नम्बर दे रहा उस नम्बर पंर हॉस्पिटल में डॉक्टर से बात करवा देना और चले जाना,ना तुम्हारा टाइम वेस्ट होगा ना तुम्हे कोई कुछ कहेगा, थेँक्स भाई। बाय बाय! " दीपक इतना कहकर वापस बाइक पर बैठ गया और यूटर्न लेते हुए जिस तरफ रोशनी को ले गए थे। उस तरफ भाग गया।
"बताओ, चुप क्यों हो, कहाँ है राहुल, जवाब दो मुझे"
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एडवांस ट्रामा सेंटर
माँ जगदम्बे
हॉस्पिटल एंड ट्रेनिंग सेंटर
Icu रूम की गोल खिड़की से एक आंख अभी उस रूम की तरफ झांक रही थी जिसमें राहुल एडमिट था। बार बार अंदर जाने के लिए मना किया गया था लेकिन ना जाने क्यो वो आंखे बार बार उस कमरे से देख रही थी। जैसे राहुल के होश में आने का इंतजार किया जा रहा हो, या फिर किसी मौके की तलाश में हो और किसी काम को अंजाम देना हो।
राहुल बहुत तकलीफ में था, पूरा शरीर आंतरिक चोटों से घायल था, जहां बाहरी घाव थे वहां तो मरहम पट्टी हो गयी लेकिन जो अंदर ही अंदर घाव थे वो रक्त के थक्के के रूप में काले नजर आ रहे थे। राहुल की कमीज भी उतारी हुई थी, पूरा शरीर नीला नजर आ रहा था।
(नोट- एक बार यूट्यूब पर गाने को सुनकर रिमाइंड जरूर करे स्टोरी)
ज़िन्दगी चल तेरा शुक्रिया
शायद मिले ना तू कल की सुबह
जो दिया हमने हस के लिया
ऐ ज़िन्दगी तेरा चल शुक्रिया
राहुल के सीने से कुछ मशीन जाकर कम्प्यूटर के मॉनिटर पर ECG रिपोर्ट को लगातार दिखा रही थी। धड़कन मानो ठहर ठहर के चल रही थी, और बीच बीच मे राहुल अजीब तरह से कांप रहा था और वापस शांत हो जा रहा था, और स्क्रीन पर नाच रही थी लकीरें , वो लकीरें जो कल तक राहुल के हाथ मे थी। कुछ ही दिनों में राहुल की जिंदगी इस तरह बदल गयी थी को वो आज कहाँ से कहाँ पहुंच गया। पहले वो खुद को बचाने के लिए कोशिश कर रहा था तो अचानक ही उसपर रोशनी नाम की लड़की की जिम्मेदारी आ गयी। अब वो भूल चुका था कि शायद उसकी भी कोई जिंदगी है, हालांकि लड़ने से वो अब भी डर रहा था लेकिन रोशनी की हिफाजत करने के लिए वो खुद को खतरे में डालता रहा। आज वो खुद को बहुत हल्का महसूस कर रहा था। उसे अभी दर्द महसूस नही हो रहा था, आंखे खोलने की हर कोशिश मुश्किलों से वाकिफ करा रही थी। और सांस जैसे सोच समझकर राहुल के अंदर प्रवेश कर रही थी एक अनिच्छा से, एक मजबूरी की तरह। और राहुल को उसके हर अधूरे ख्वाब अब अधूरे ही मिटते हुए नजर आ रहे थे।
हर साँस का हर ख्वाब का
उम्मीद के सैलाब का
तुझसे जुड़ी हर बात का शुक्रिया
तेरी धूप का बरसात का
थामा जिसे उस हाथ का
अच्छे बुरे हालात का शुक्रिया
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया!
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दीपक और अविनाश बैठे हुए थे, और अविनाश ने दीपक को कपड़े देते हुए कहा- "ये पहन लो, और बाहर आ जाओ, खाना पकाकर रखा है, खा लेंगे उसके बाद हॉस्पिटल जाएंगे"
दीपक ने कपड़े लिए और नहाने के लिए जाने लगा-" तौलिया दे दो, नहा ही लेता हूँ।"
"बकवास ना करो, ये अभी जो दवाई लगाई है सब बह जाएगा, और पानी से तो थोड़ा दूर ही रहना एक दो दिन, वरना ये घाव सब गहरे होने लगेंगे और मवाद भरने लगेगा।" अविनाश ने उसी तरह डांटा जैसे राहुल को डाँटता था। लेकिन दीपक को अच्छा लगा।
दीपक ने बिना नहाए कपड़े बदले और बाहर आ गया।
बाहर रोशनी और उसकी मम्मी बैठी थी, दोनो ना जाने किस बात पर आंसू बहा रहे थे। वैशाली रो रही थी और रोशनी उसे चुपाने की कोशिश में लगी थी, रोशनी ने सारा हाल सुनाया था तो शायद इसलिए भी वैशाली को रोना आ गया। अविनाश किचन में दाल गर्म करने लगा और खाना परोसने की तैयारी में जुट गया।
दीपक हॉल में आया और रोशनी और उसकी माँ को देखने लगा जो बात बात में दीपक की तारीफ कर रहे थे कि कैसे मार खाने के बाद भी दीपक दोबारा उठा और रोशनी को छीन लाया उन बदमाशो से।
मुझमें सब हैं, सब कुछ मैं हूं
जीना मरना बातें हैं
मुझमें दोनों चाँद और सूरज
मुझसे दिन और रातें हैं
पास हूं मैं तेरे हर जगह
महसूस कर मुझे और मुस्कुरा
पास हूं मैं तेरे हर जगह
महसूस कर मुझे और मुस्कुरा
हां… ओ…
शुक्रिया शुक्रिया
दीपक हॉल से लौटकर किचन में गया और अविनाश के साथ खाना लाने में मदद करने लगा।
थोड़ी देर में सबने खाना खाया और रोशनी और वैशाली को कमरे में सोने को कहकर बिना बताए दीपक और अविनाश हॉस्पिटल कि तरफ़ निकल पड़े जहां राहुल एडमिट था।
हॉस्पिटल में पहुँचने के बाद अविनाश रिसेप्शन पर पूछ रहा था कि राहुल कहाँ एडमिट है। लेकिन दीपक सीधे जाने लगा।
"आ जाओ यार, ढूंढ लेंगे , icu के वार्ड ही कितने होंगे, दो या तीन, पांच भी हुए तो…. यहां लिस्ट में कब तक……" कहते हुए दीपक लिफ्ट में चले गए।
अविनाश ने रिसेप्शनिस्ट से कहा - " प्रॉपर एड्रेश जल्दी थोड़ी देर पहले ही आया है केस"
दीपक लिफ्ट में लिस्ट में देखकर सीधे फोर्थ फ्लोर का बटन दबाकर चले गया और जाते जाते सोचने लगा- "वो ज्यादा से ज्यादा 4rth flore बताएगी और बेड नम्बर भी बता देगी, लेकिन 4th फ्लोर में जाकर खड़े पुलिस के लोग सीधे वही ले जाएंगे, अविनाश ज्यादा ही टेंशन लेता है राहुल की।"
दीपक चौथी मंजिल पर पहुंचा और ब्लॉक "A" की तरफ निकल पड़ा। तभी जल्दबाजी में आती हुई एक डॉक्टरनी की टक्कर दीपक से हो गयी, वो पहले ही बहुत घबराई हुई थी लेकिन जब उसने दीपक को देखा तो उसका सिर चकरा गया और खुद मरीजों की तरह चक्कर खाकर गिरने लगी तभी दीपक ने उसे पकड़ लिया और गिरने से रोकते हुए संभालते हुए मजबूती से पकड़े रखा जब तक कि वो अपने पैरों पर अपना वजन डालते हुए सीधी खड़ी नही हो जाये। लेकिन वो बेसुध सी दीपक के चेहरे को देख रही थी और दीपक हैरानी से उसे देख रहा था की वो क्यो उसे देख रही है।
अविनाश भी लिफ्ट से बाहर आकर ब्लॉक "A" की तरफ आने लगा। तभी उसकी नजर दीपक पर पड़ी जो किसी लड़की को फिल्मी स्टाइल में पकड़े हुए था, एक हाथ से उसके झुकी हुई कमर को पकड़े था तो दूसरे हाथ से इसका हाथ पकड़ा था और लड़की जो ड्रेस से डॉक्टर लग रही थी वो बेशर्मो की तरह स्टेच्यू खड़ी थी जैसे को फोटोशूट चल रहा हो।
"ओए दीपक…." अविनाश ने आवाज दिया तो दीपक ने जल्दी से हाथ से जयर लगते हुए उसे खड़ा किया और उसने भी जल्दी से ठीक से खड़े होते हुए आवाज की तरफ देखा। दोनो ने एक साथ अविनाश की तरफ देखा और अविनाश ने एक साथ दोनो को देखा।
अविनाश भी हैरान नजर आया और लड़की भी, दोनो एक दूसरे को देख रहे थे और दीपक दोनो को देख रहा था।
दोनो एक साथ बोले- "तुम……????
शुक्रिया……
शुक्रिया……
यहां तक पढ़ने के लिए शुक्रिया……
फिर मिलेंगे अगले एपिसोड में….
Fiza Tanvi
27-Aug-2021 05:32 PM
बहुत बढ़िया
Reply
Sana khan
27-Aug-2021 12:14 PM
Waah
Reply
Miss Lipsa
27-Aug-2021 04:41 AM
Uff..... Bohot acha story hai agle bhag ki intzaar mai
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